बेडि़या जनजाति मध्य प्रदेश की प्रमुख जनजाति है। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड का प्रसिद्ध राई नृत्य इसी जनजाति के लोगों का रिवाज़ है।
मध्य प्रदेश में इस जनजाति की जनसंख्या करीब दो लाख है और यह रायसेन
छिंदवाड़ा, जबलपुर और विदिशा क्षेत्रों में पाई जाती है। इस जनजाति में
माहवारी शुरू होते ही लड़की की ‘नथ उतरवाई’ की रस्म करने का रिवाज़ है। परंपरा के नाम पर इसके बाद शुरू होता है उसका शोषण। रोज दस से पंद्रह पुरुष ऐसी लड़की के साथ परंपरा के नाम पर बिना उसकी मर्ज़ी के उससे षारीरिक सम्बन्ध बनाते हैं। ये सारे पुरुष ऊँची समझी जाने वाली जाति के होते हैं।
इसके अलावा मानव तस्करी के तहत इन्हें बेचने के भी मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन अब बेड़नियां इस रिवाज़ को न कह रही हैं। बेडि़या जनजाति की शिखा नाम की लड़की भी उन्हीं लड़कियों में से है जिसने इस परंपरा को मानने से साफ मन कर दिया। शिखा की उम्र पंद्रह साल है। उसकी मां की मौत के बाद उसके मामा मामी उसे ले गए। शिखा ने बताया कि मामा मामी कहते थे कि बड़े होने पर उसे मुंबई भेज देंगे। एक समाजिक संगठन ने उसे बचाया। शिखा एक शिक्षक बनना चाहती है। वहीं माधुरी खाना बनाकर अपना और बच्चों का पेट पालती है। माधुरी ने कहा कि वह नहीं चाहती कि उसकी बेटी की ‘नथ उतरवाई’ हो।
हालांकि सामाजिक तौर पर अभी इन्हें स्वीकार नहीं किया जाता है और सरकारी तौर पर भी इन्हें सहायता नहीं मिल रही है। स्कूल या कॉलेजों में भी इन्हें प्रताड़ना सहन करनी पड़ती है। कई बार शिक्षक ही इनके साथ बलात्कार करते हैं। लेकिन बेड़नियों को उम्मीद है कि उनकी अंधेरी रात की एक दिन सुबह होगी।
इसके अलावा मानव तस्करी के तहत इन्हें बेचने के भी मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन अब बेड़नियां इस रिवाज़ को न कह रही हैं। बेडि़या जनजाति की शिखा नाम की लड़की भी उन्हीं लड़कियों में से है जिसने इस परंपरा को मानने से साफ मन कर दिया। शिखा की उम्र पंद्रह साल है। उसकी मां की मौत के बाद उसके मामा मामी उसे ले गए। शिखा ने बताया कि मामा मामी कहते थे कि बड़े होने पर उसे मुंबई भेज देंगे। एक समाजिक संगठन ने उसे बचाया। शिखा एक शिक्षक बनना चाहती है। वहीं माधुरी खाना बनाकर अपना और बच्चों का पेट पालती है। माधुरी ने कहा कि वह नहीं चाहती कि उसकी बेटी की ‘नथ उतरवाई’ हो।
हालांकि सामाजिक तौर पर अभी इन्हें स्वीकार नहीं किया जाता है और सरकारी तौर पर भी इन्हें सहायता नहीं मिल रही है। स्कूल या कॉलेजों में भी इन्हें प्रताड़ना सहन करनी पड़ती है। कई बार शिक्षक ही इनके साथ बलात्कार करते हैं। लेकिन बेड़नियों को उम्मीद है कि उनकी अंधेरी रात की एक दिन सुबह होगी।