Wednesday 9 May 2012

बुलंद हौसलों की बुलंद दौड़



कहा जाता है कि इंसान में अगर हौंसले हों, तो कुछ भी असंभव नहीं है। अपने हौंसले के दम पर इंसान कुछ भी कर सकता है। हमारे सामने  ऐसे कई उदाहरण हैं, जब शारीरिक तौर पर अक्षम होते हुए भी लोगों ने देश-दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। एक बार फिर हौंसलों की इसी बुलंदी को साबित किया है ब्रिटेन की क्लेयर लोमास ने।
क्लेयर लोमास ने विकलांग होते हुए भी लंदन मैराथन दौड़ पूरी की है। क्लेयर ने अपने बुलंद हौंसलों और मेहनत के दम पर इसे पूरा कर दिखाया। उनके जज्बात को सलाम करने का दिल करता है, हालांकि क्लेयर ने यह दौड़ा 16 दिनों में पूरी की। उनके साथ 36 हजार अन्य  लोगों ने भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। क्लेयर जब यह दौड़ पूरी करके पहुंची, तो हजारों की तादाद में लोगों ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया।
क्लेयर के बारे में एक बात ज्यादा खास है कि वह पहले पेशेवर घुड़सवार थीं। मगर 2006 में घुड़सवारी करते वक्त वह गिर पड़ीं और उनके सीने के नीचे के हिस्से में लकवा मार गया। डॉक्टरों ने घोषित कर दिया था कि क्लेयर अब कभी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाएंगी और उन्हें बाकी की जिंदगी व्हील चेयर  पर ही गुजारनी पड़ेगी। आप समझ सकते हैं कि उस समय क्लेयर के हौंसले पस्त हो गए होंगे, मगर कुछ दिनों बाद वह फिर से संभलीं और उन्होंने कुछ अलग करने की ठानी। क्लेयर फिर से अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थीं और उनकी यह इच्छा  पूरी हुई रोबोटिक लेग्स की मदद से। एक दिन इंटरनेट पर क्लेयर अपने  जैसे  लोगों की मदद के लिए खोज कर रही थीं कि उन्हें इस रोबोटिक लेग्स के बारे में पता चला। उन्होंने दोस्तों की मदद से पैसा जुटाया और रोबोटिक वॉकिंग सूट्स खरीदा। शुरुआत में वह दो-तीन कदम ही चल पाती थीं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मैराधन के लिए कड़ी मेहनत की और सफल हुईं। हालांकि इस  रोबोट लेग्स के साथ चलना आसान नहीं होता है, फिर भी क्लेयर ने इसे कर दिखाया।
क्लेयर लोमास हमारे लिए एक जीती-जागती मिशाल हैं इस बात की कि  अगर इरादे बुलंद हों, तो मंजिल खुद-ब-खुद आपके कदम चूमती है। क्लेयर लोमास को उनकी इस सफलता के लिए बहुत-बहुत बधाई और अभिनंदन। सलाम क्लेयर लोमास।

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