Sunday 1 March 2015

अनकहा रिश्ता, अधूरी कहानी


जिंदगी में कभी-कभी कुछ अलग ही लोगों से मुलाकात हो जाती है। यूं तो रोज ही कई लोगों से वास्ता पड़ता है।  आते-जाते, ऑफिस में काम करते और सड़कों पर चलते न जाने कितने चेहरे हमारे सामने से गुजरते हैं। जिंदगी में कितने लोग हमें मिलते हैं। कितने दोस्त बनते हैं और कितने वक्त के साथ छूट जाते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं,  जिनसे  मुलाकात तो छोटी होती है, पर एक अनकहा रिश्ता बन जाता है।
एक ऐसा ही रिश्ता मिला था सीमा को यूं ही आते-जाते, मिलते-मिलाते। उज्जवल से एक छोटी सी मुलाकात ने उसके जीवन में हलचल मचा दी थी। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर क्या है यह रिश्ता। क्यों उसे यह रिश्ता सबसे बड़ा और करीबी लगता है, क्यों उससे दिल की हर बात करने का मन करता है, क्यों वह उसे देखना चाहती है, जी भरकर बातें करना चाहती है क्यों? बहुत से सवाल चल रहे हैं उसके मन में... लेकिन हल नहीं है उसके पास।
सीमा को उज्जवल का साथ बेहद खास लगता। कभी वह उससे खूब बतियाती, तो कभी कुछ  सोचकर मौन भी हो जाती। कभी-कभी तो वह उसके सामने अल्हड़ बच्ची बन जाती, तो कभी-कभी बड़ी-बड़ी बातें करती। उसे खुद ही नहीं समझ में आ रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है उसके साथ। पहली बार ऐसा कुछ महसूस कर रही थी वह। यूं तो वह उज्जवल को अपना दोस्त कहती थी, लेकिन वह कुछ खास है। हां कुछ तो खास है उज्जवल में... जो वह महसूस कर रही थी, लेकिन शब्द उसका साथ नहीं दे रहे थे.....................................