Sunday 24 February 2013

इन दूरियों को मिटा दो



मिटा दो अब इन दूरियों को तुम। चले आओ वापस। बस आ जाओ अब। बहुत कर ली तुमने अपने मन की। अब तो लौट आओ। जानते हो, तुम्हारे बिना कैसे बीतता है दिन। इतनी भी क्या नाराजगी है तुम्हें? याद है कितने खुश थे हम। माना कुछ गलतियां हुईं मुझसे। मानती हूं अपनी गलती। पर माफी तो खुदा भी देता है, तो क्या तुम नहीं कर सकते मुझे माफ। कई बार तुमने समझाया मुझे, पर नहीं समझी मैं। लगता था मुझे कि कहां जाओगे तुम मुझे छोड़कर। लेकिन अब जब तुम नहीं हो, तो अहसास होता है कि तुम कितने अनमोल हो मेरे लिए। हीरे हो तुम। नहीं जी सकती तुम्हारे बिना। पता है तुम्हें कितनी रातें बीती हैं मेरी रोते हुए। नहीं थमे हैं आंसू जब से तुम गए हो दूर। नहीं मानता है ये दिल कि तुम दूर हो मुझसे। अब तो आ जाओ मेरे पास या फिर मुझे बुला लो, जहां भी तुम हो। कर रही हूं तुम्हारा इंतजार मैं। बस अब अंत कर दो मेरे इंतजार का। लौट आओ फिर मेरे पास। विश्वास दिलाती हूं अब नहीं करुंगी कोई गलती। आ जाओ बस अब लौट आओ। अब लौट भी आओ न...................

1 comment:

  1. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति

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