Monday 25 February 2013

आज बेहद अकेलापन महसूस हो रहा है....

आज बेहद अकेलापन महसूस हो रहा है..... बेहद घुटन लग रही है। गला सूख रहा है। हड़बड़ाकर मैं उठकर बैठ जाती हूं। नहा जाती हूं पसीने में..... कितना भयानक सपना था। ऐसे लगा कि कोई गहरे कुंए में धक्का दे रहा है। मेरा सब कुछ मुझसे छीन लिया जा रहा है.... चौंक कर देखती हूं मैं आस-पास।  अरे वो नहीं है यहां। कहां गया वह? पुकारती हूं मैं उसे बार-बार, लेकिन मेरी आवाज दीवारों से टकराकर वापस आ जाती है। नहीं सुनाई पड़ती है उसे मेरी पुकार। मैं चीख उठती हूं। धड़क रहा है दिल जोर-जोर से। डर लग रहा है कि कहीं वह सच में तो नहीं चला गया मुझसे बेहद दूर। बहुत दूर। नहीं.... नहीं.... नहीं..... ऐसा नहीं हो सकता। वह नहीं जा सकता मुझसे दूर। कभी नहीं.............। आखिर वही तो है, जिसने मुझे मेरे होने का अहसास कराया। जिसने मुझे उबारा गम के साये से। फिर कैसे दे सकता है वह मुझे गम....कैसे........ नहीं ऐसा नहीं होगा............नहीं होगा कुछ भी......... मैं नहीं होने दूंगी ऐसा........ उसे अपने से दूर कभी नहीं.......। नहीं जा सकता वह मुझसे दूर..... कैसे जा सकता है भला बताओ....। हां वह नाराज  जरूर है मुझसे, लेकिन अब खत्म हो जाएगी उसकी यह नाराजगी.......... बिल्कुल खत्म। रूठ गया है वह कुछ दिन के लिए...... तो मना लूंगी मैं उसे....। आखिर वह मेरा ही तो है........ और फिर रिश्ते इतने खोखले नहीं होते कि जरा सा हवा का झोंका उन्हें तोड़ दे....... नहीं टूटते इतने जल्दी रिश्ते.....हां नहीं टूटते। आंधियां सही हैं हमने........फिर ये तो झौंका है हवा का, गुजर जाएगा यह भी और हम फिर मिलेंगे...........बिल्कुल मिलेंगे...... उम्मीद है मुझे और विश्वास भी खुद पर, अपने प्यार पर और हां उस पर......।
(मेरी एक कहानी का अंश)

4 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर अंश है कहानी का अब तो पूरी कहानी पढ़ने के लिए उतावला हो रहा हूँ.

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  2. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (02-03-2013) के चर्चा मंच 1172 पर भी होगी. सूचनार्थ

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  3. हवा के झोंके से जिंदगी की रोशनी और बुलंद होनी चाहिये.

    सुंदर प्रस्तुति.

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